Trust Is Broken…: NSA Ajit Dovals Strong Message To Chinese Diplomat – भरोसा टूटा है… : NSA अजीत डोभाल का चीन के राजनयिक को कड़ा संदेश


अजीत डोभाल ने चीन के राजयनयिक के सामने एलएसी पर चल रहे तनाव पर चिंता जताई

नई दिल्ली:

NSA अजीत डोभाल ने  चीनी राजनयिक वांग यी से कहा कि 2020 के बाद से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी, भारत की वास्तविक सीमा पर स्थिति ने रणनीतिक विश्वास और दोनों देशों के बीच संबंधों के सार्वजनिक और राजनीतिक आधार को कमजोर कर दिया है. अजीत डोभाल ने सोमवार को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स की बैठक में ये बात कही. 

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बता दें कि वांग यी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य और सीपीसी विदेश मामलों के आयोग के निदेशक हैं. वो और डोभाल सीमा वार्ता पर अपने देश के विशेष प्रतिनिधि हैं. खास बात ये है कि भारत और चीन के बीच सीमा पर आखिरी विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता 2019 में हुई थी.

सूत्रों के अनुसार इस बैठक में NSA डोभाल ने समस्या को पूरी तरह से हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए निरंतर प्रयासों के महत्व पर जोर दिया. ताकि द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके.

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार वांग यी ने कहा कि दोनों पक्षों को रणनीतिक आपसी विश्वास बढ़ाना चाहिए, आम सहमति और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और साथ ही साथ बाधाओं को दूर करना चाहिए. उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द मजबूत करने और स्थिर विकास की पटरी पर लाने की भी बात कही.

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि चीन कभी भी आधिपत्य की तलाश नहीं करेगा, और बहुपक्षवाद और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण का समर्थन करने और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के अधिक न्यायसंगत और न्यायसंगत विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत सहित विकासशील देशों के साथ काम करने के लिए तैयार है.

गौरतलब है कि इस बातचीत के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण है.खास बात ये है कि यह बैठक विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में वांग से मुलाकात के कुछ दिनों बाद हुई और उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति से संबंधित बकाया मुद्दों पर चर्चा की.

बता दें कि भारत तीन साल से अधिक समय से चीन के साथ सैन्य गतिरोध में फंसा हुआ है, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे अपने राजनयिक करियर की सबसे जटिल चुनौती भी बताया है. 

 

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