Case Of Bringing Separatist Yasin Malik To Supreme Court Heats Up, SG Writes To Union Home Secretary – अलगाववादी यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट लाने का मामला गर्माया, SG ने केंद्रीय गृह सचिव को चिट्ठी लिखी


अलगाववादी यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट लाने का मामला गर्माया, SG ने केंद्रीय गृह सचिव को चिट्ठी लिखी

कश्मीर का अलगाववादी नेता यासीन मलिक (फाइल फोटो).

नई दिल्ली:

अलगाववादी नेता यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट लाने का मामला गर्मा गया है. सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने यासीन मलिक को कोर्ट लाने पर नाराजगी जताई है. उन्होंने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने कहा है कि, प्रतिबंध के बावजूद यासीन को सुप्रीम कोर्ट लाना सुरक्षा में भारी चूक है. इस तरह से कोई बड़ी घटना हो सकती थी. उन्होंने मामले में कार्रवाई करने की मांग की है.  

यह भी पढ़ें

तुषार मेहता ने पत्र में कहा है कि, यासीन मलिक आतंकवादी और अलगाववादी पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति है, जो न केवल आतंकी फंडिंग मामले में दोषी है, बल्कि उसके पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध हैं. वह भाग सकता था, जबरन ले जाया जा सकता था या मारा जा सकता था. अगर कोई अप्रिय घटना घटती तो सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती. मामले को देखते हुए जब तक CrPC  की धारा 268 के तहत आदेश लागू है, जेल अधिकारियों के पास उसे जेल परिसर से बाहर लाने की कोई शक्ति नहीं है, और न ही उनके पास ऐसा करने का कोई कारण है. 

मेहता ने लिखा है कि, यासीन मलिक के संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा आपराधिक प्रक्रिया संहिता  की धारा 268 के तहत एक आदेश पारित किया गया है. यह आदेश सुरक्षा कारणों से जेल अधिकारियों को उक्त दोषी को जेल परिसर से बाहर लाने से रोकता है. आज हर कोई हैरान रह गया जब खबर मिली कि जेल अधिकारी  यासीन मलिक को व्यक्तिगत रूप से पक्षकार के रूप में पेश होने की उनकी इच्छा के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में  पेश होने के लिए लाए. मैंने आपको टेलीफोन पर इस तथ्य से अवगत करा दिया था, हालांकि, यासीन मलिक पहले ही सुप्रीम कोर्ट आ गया था. 

मेहता ने लिखा है कि, न तो  अदालत ने उन्हें व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए बुलाया था और न ही इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट  के किसी प्राधिकारी से कोई अनुमति ली गई थी. जब मैंने उस अधिकारी से पूछताछ की जो सुप्रीम कोर्ट में यासीन मलिक की सुरक्षा का प्रभारी था, तो वह मुझे केवल सुप्रीम कोर्ट के सामान्य प्रारूप में एक नोटिस दिखा सका जो प्रत्येक पक्ष को भेजा जाता है कि उक्त प्रिटिंग नोटिस प्राप्तकर्ताओं को व्यक्तिगत रूप से या अधिकृत वकील के माध्यम से न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के लिए सूचित किया जाता है. 

तुषार मेहता ने कहा है जेल अधिकारियों को प्रतिदिन सैकड़ों ऐसे आदेश/नोटिस प्राप्त हो रहे होंगे. उन्होंने ऐसे किसी भी आदेश को कभी नहीं माना है जिसमें किसी भी आरोपी या किसी दोषी की व्यक्तिगत उपस्थिति की आवश्यकता होती है. खासकर उस दोषी की जिसके खिलाफ सीआरपी कोड की धारा 268 के तहत आदेश चल रहा हो. 

उन्होंने केंद्रीय गृह से कहा है कि, मैं इसे इतना गंभीर मामला मानता हूं कि इसे एक बार फिर से आपके व्यक्तिगत संज्ञान में ला रहा हूं ताकि आपकी ओर से उचित कार्रवाई/कदम उठाए जा सकें.

Featured Video Of The Day

मुंबई में भारी बारिश से कई जगहों पर घुटनों तक पानी भर गया



Source link

Leave a comment